Saturday, 21 June 2025

सोनेट - बूँद

 


बूँद प्यासे के गले में जिंदगी सी

बूँद टपके आँख से तो है कहानी

चंद बूंदें मिल गईं तो सिंफ़नी सी

ये ही गंगा जल यही ज़मजम का पानी


बूँद बादल से गिरे जो ग्लेशियर पर

तयशुदा उसके लिए लंबा सफर है

और जिन बूंदों को सागर है मयस्सर

याद रखिए उनका होना बेअसर है


बूँद का गिरना ख़ुदा के हाथ में है

बूँद का तो फ़र्ज़ है बस बूँद होना

बूँद का होना लहर के साथ में है

आखिरश तय है, उसे ख़ुद को है खोना


प्यास मेरी है कि जो बुझती नहीं है

बूँद ख़ुद के वास्ते कुछ भी नहीं है


नकुल

No comments:

Post a Comment