Friday 16 April 2021

नज़र आया तो वो दिल में उतरकर मार डालेगा

तीन साल पुरानी

एक गुमशुदा #ग़ज़ल


बिला दीदार यादों का बवंडर मार डालेगा

नज़र आया तो वो दिल में उतरकर मार डालेगा


तुम्हारा जनवरी का वाइदा तो ठीक है लेकिन

मुझे फ़ुर्क़त का ये ज़ालिम दिसम्बर मार डालेगा


तुम्हे पहला निवाला घूटते ही फिक्र है कल की

तुम्हारे आज को बेवज्ह यह डर मार डालेगा


हमें था शौक़ छाती तान कर हर जंग लड़ने का (तकाबूले रदीफ़)

किसे मालूम था वो तीर छिपकर मार डालेगा


ज़रा सा इल्म होने पर ख़ुदा खुद को समझता है

तुझे भी वक़्त आने पर मुकद्दर मार डालेगा


#नकुल

SheshDhar Tiwari जी के आदेश पर दो साल पहले

जैन साहब द्वारा याद दिलाने पर

आप सब की नज़्र

ऐसा भी वक़्त हमने गुज़ारा कहीं कहीं

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यादों का रात भर था सहारा कहीं कहीं

ऐसा भी वक़्त हमने गुज़ारा कहीं कहीं


भँवरे के साथ फूल भी डूबे हैं इश्क़ में

दिलचस्प हो रहा है नज़ारा कहीं कहीं


पक्का जो डूबने का इरादा हुआ मेरा

नज़दीक दिख रहा है किनारा कहीं कहीं


ये इश्क़ समुंदर है कि बारिश की बूँद है

मीठा कहीं कहीं तो है खारा कहीं कहीं


अच्छा हुआ कि इश्क़ दुबारा नहीं हुआ

दिल तो मचल रहा था हमारा कहीं कहीं


कुछ इस लिये भी राह लगी खुशनुमा हमें

तुमने सफ़र में हमको पुकारा कहीं कहीं

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