तेरे रुख़सार से चिलमन को हटाया जाये ,
चलो कुछ देर चराग़ों को "जलाया" जाये !!
सजा क देख बहारों में लिए हैं ग़ुलशन
चलो इस बार, कहीं दश्त सजाया जाये !!
मुझे ये लोग दिखाते जो मेरी सीरत हैं,
चलो इन आईनों को अक्स दिखाया जाये !!
पिला क देख चुके खूब शिलाओं को हम,
चलो पानी, ये परिन्दों को पिलाया जाये !!
भरे ज़ख्मों को लिए मयकदे में आये हैं ,
चलो मरहम ये तबीबों को लगाया जाये!!
दिलों के जलने, जलाने में रखा क्या आखिर
चलो घरबार रकीबों का बसाया जाये !!
सताया खूब है, इस लंबे सफर ने हम को,
चलो मंज़िल को भी अब थोड़ा थकाया जाये !!
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