Friday 31 October 2014

मिल गया मुझको भी राशन BPL के रेट पर


एक दस का नोट दे सस्ती दुकां के गेट पर,
मिल गया मुझको भी राशन BPL के रेट पर ||

लिस्ट में दिखता गरीबों की वो नंबर वन पे है,
प्लेट खाने की टिका सकता है बेशक पेट पर ||

बच गया सिग्नल के सब श्वेताम्बरी दूतों से मैं,
जब से चिपकाया चुनावी इक निशां हेलमेट पर ||

जब से घर बनवा लिया है, इस भरी महंगाई में,
मैं नहीं ले जा सका बेग़म को तब से डेट पर ||

फूल अब मिलते हैं प्रियवर आसमानी दाम पर,
जन्मदिन शुभकामना भेजी है इंटरनेट पर ||

ग्रह दशा कैसी भी हो, घबराओ मत यजमान तुम,
कुछ हरे कागज़ चढ़ा दो दक्षिणा में प्लेट पर ||

वो भी क्या दिन थे हसीं बचपन के, जम हम थे रईस,
हम बना लेते थे सोने के महल भी स्लेट पर ||

सच कहो या झूठ, पर तारीफ बेग़म की करो,
भूल कर भी मत करो कॉमेंट उनके वेट पर ||

सैलरी के दूसरे दिन आज फिर सूखा पड़ा,
लिख दिया To-let मैंने आज फिर वॉलेट पर ||

वाहवाही सुन के फूलो मत 'नकुल' तुम इस कदर,
ये ज़माना है चढ़ा देगा तुम्हे इवरेस्ट पर ||

Tuesday 21 October 2014

इश्तिहारों ने ही अखबार संभाले हुए हैं


लफ्ज़ पोर्टल के 20वें तरही मुशायरे में सम्मिलित हुई मेरी ये ग़ज़ल

रुख हवा का भी खरीदार संभाले हुए हैं,
इश्तिहारों ने ही अखबार संभाले हुए हैं ||

हर तरफ फ़ैल रही है जो वबा लालच की
अब तबीबों ने भी बाज़ार संभाले हुए हैं ||

कर रही है ये बयानात का सौदा खुल के,
ये अदालत भी गुनहगार संभाले हुए हैं ||

आप का हुस्न तो परवाने बयान करते हैं,
आइना आप ये बेकार संभाले हुए हैं ||

अब वसीयत ही अयादत का सबब हो शायद,
हम नगीने जो चमकदार संभाले हुए हैं ||

आप कह दें तो हक़ीक़त भी बने अफ़साना,
आप की बात तरफदार संभाले हुए हैं ||

पासबां लूट रहे हैं ये ख़ज़ाने मिल कर,
मयकदे आज तलबगार संभाले हुए हैं ||

कोशिशें आप करें लाख गिराने की घर,
हम तो हर हाल में दीवार संभाले हुए हैं||

क्या बढ़ाएंगे मेरा दर्द मुखालिफ मेरे,
काम मेरा ये मेरे यार संभाले हुए हैं ||

बेड़ियां तोड़ रहे हैं ये बदलते रिश्ते,
"आप ज़ंजीर की झंकार संभाले हुए हैं" ||

झूठ साये की तरह साथ चले दोज़ख़ तक,
ख्वामखाह आप ये रफ़्तार संभाले हुए हैं ||