Thursday 9 March 2017

खेलें होली चलो इक नए रंग में


फ्रेम कर लें सजा कर लम्हे रंग में
खेलें होली चलो इक नए रंग में

हो गयी है पुरानी मुहब्बत मगर
हैं ये किस्से नये के नये रंग में

धूप सेंकें पहाड़ों की मुद्दत के बाद
कर लें माज़ी नया धूप के रंग में

उस पहाड़ी पे कैफ़े खुला है नया
चल मुहब्बत पियें चाय के रंग में

एक भँवरे ने बोसा लिया फूल का
झूम उठी डालियाँ मद भरे रंग में

प्रिज़्म शरमा न जाये तुझे देख कर
रंग मुझको दिखें सब तेरे रंग में

जब से बूढ़ी हुई, हो गयी तू खड़ूस
डेट पर ले चलूँ क्या तुझे रंग में

चल पकौड़े खिलाऊँ तुझे मॉल पर
औ' पुदीने की चटनी हरे रंग में

आज बच्चों ने ऐसे रँगा है मुझे
घोल कर हैं जवानी गए रंग में

हम गली पर टिकाये हुए थे नज़र
और बच्चे थे छत पर डटे रंग में

छोड़ बच्चे गये अपनी पिचकारियाँ
मेरा बचपन दिखाया मुझे रंग में

एक दिन के लिए छोड़ भी दो किचन
"आओ रँग दूँ तुम्हे इश्क़ के रंग में"

No comments:

Post a Comment