शेर बन के जब मेरा बेटा डराता है मुझे,
बालपन खोया हुआ फिर याद आता है मुझे ॥
कहकहे यारों के मेरे और टीचर की छड़ी,
इक पुराना चुटकुला अब भी रुलाता है मुझे ॥
खेल कर यारों के घर, फिर लौटना घर देर से,
अब भी चांटा माँ का पापा से बचाता है मुझे ||
हार कर इक बार फिर से खेलते थे हम कभी,
हारना अब खेल में क्यों चिड़चिड़ाता है मुझे ?
सांप सीढ़ी सी ये दुन्या, और लुड्डो सी ये रेस,
एक प्यादा अब भी रस्ते से हटाता है मुझे ||
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