Friday, 25 July 2025

सोनेट - 4

 छू नहीं पाया कभी गेसू तुम्हारे

 दस्तरस थी फूल की बस डायरी तक

बात होटों तक नहीं पहुंची हमारे

इश्क सिमटा रह गया है शायरी तक


आरज़ू दिल की बहुत मासूम सी थी

दोस्तों में नाम शामिल हो तुम्हारे

हो कोई तकलीफ या घड़ियाँ खुशी की

 दिल तुम्हारा बे झिझक मुझको पुकारे


तय न कर पाया मैं ये छोटी सी  दूरी

हाँ! मेरे अल्फ़ाज़ साहिर हो न पाए

हो नहीं पाई कभी वो बात पूरी

औ'र मेरे एहसास ज़ाहिर हो न पाए


अब नया किरदार चुनना चाहता हूँ

मैं तुम्हारी बात सुनना चाहता हूँ


नकुल गौतम

Sunday, 6 July 2025

सोनेट है - 3

<p>कब ये सोचा था हमें होगी मुहब्बत

बोझ एहसासों का यूँ ढोना पड़ेगा

बेकली होगी, करेंगे गम शरारत 

और फुरकत में हमें रोना पड़ेगा


बढ़ चुका है मर्ज़ अब हद से ज़ियादा 

दर्द हम को खुशनुमा लगने लगा है

दोस्त भी देने लगे हम को दिलासा

इश्क़ कोई हादसा लगने लगा है


ढूंढती हैं क्यों उन्हें नजरें मुसलसल

क्यों हमें खुद को जताना पड़ रहा है

वो करें हमको नज़रंदाज़ हर पल

और हमको मुस्कुराना पड़ रहा है


क्यों हमें ज़िल्लत ये सहनी पड़ रही है

बात हम को मुँह से कहनी पड़ रही है

</P>