Wednesday 1 December 2021

जमी घास पर दोपहर तक है शबनम

 

जमी घास पर दोपहर तक है शबनम

कोई कर गया आँच सूरज की मद्धम


हरी पत्तियाँ क्यों मनाएँगी मातम

ये गिरने से पहले सुनायेंगी सरगम


है जादू पहाड़ों की ताज़ा हवा का

कि मीलों चलें फिर भी घुटता नहीं दम


कभी धूप आये कभी छाये कोहरा

ये मौसम कहीं ख़ुश्क है तो कहीं नम


जो बादल अभी सुस्त से दिख रहे हैं

ये सब जनवरी में दिखाएंगे दम खम


बहाना मिले आप मिलने जो आएं

मेरी आजकल चाय होती है कुछ कम


निकलते नहीं दिन ढले आप बाहर

सो छत पर नहीं दिख रहे शाम को हम


हिमाचल में हूँ इस बरस इत्तफाकन

यहाँ सर्दियों का गुलाबी है मौसम


अभी वक़्त है बर्फ़ गिरने में थोड़ा

यहाँ जल्द होगा सफेदी का परचम


नकुल गौतम

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