Saturday 6 June 2020



रूह गर यादों से छलनी हो तो नाहन आइये
चैन से गर आह भरनी हो तो नाहन आइये

गर दिसंबर-जनवरी में छुट्टियाँ मिल जाएं और'
बादलों पर सैर करनी हो तो नाहन आइये

सर्द मौसम हो कि गर्मी की उमस की ऊब हो
गर सुहानी धूप चखनी हो तो नाहन आइये

नौकरी से हों परेशां, इश्क़ में टूटा हो दिल
चैन की गर साँस भरनी हो तो नाहन आइये

वादियों में ज़ाविए भी आएँगे कुछ मख़मली
और ग़ज़ल ताज़ा जो कहनी हो तो नाहन आइये

रेणुका से मारकंडा तक बसा है देवलोक
स्वर्ग की सीढ़ी जो चढ़नी हो तो नाहन आइये

चीड़ के जंगल सुनाते हैं गज़ब की सिम्फ़नी
धुन कोई ताज़ा जो सुननी हो तो नाहन आइये

एक हैं सब हिन्दू, मुसलिम, सिक्ख-ईसाई, बौद्ध, जैन
बात इतनी सी समझनी हो तो नाहन आइये

गर्मियों की छुट्टियों में आएंगे अगले बरस
बात "गौतम जी" से करनी हो तो नाहन आइये

नकुल गौतम 😊

No comments:

Post a Comment