<pre>
यादों का रात भर था सहारा कहीं कहीं
ऐसा भी वक़्त हमने गुज़ारा कहीं कहीं
भँवरे के साथ फूल भी डूबे हैं इश्क़ में
दिलचस्प हो रहा है नज़ारा कहीं कहीं
पक्का जो डूबने का इरादा हुआ मेरा
नज़दीक दिख रहा है किनारा कहीं कहीं
ये इश्क़ समुंदर है कि बारिश की बूँद है
मीठा कहीं कहीं तो है खारा कहीं कहीं
अच्छा हुआ कि इश्क़ दुबारा नहीं हुआ
दिल तो मचल रहा था हमारा कहीं कहीं
कुछ इस लिये भी राह लगी खुशनुमा हमें
तुमने सफ़र में हमको पुकारा कहीं कहीं
</pre>
No comments:
Post a Comment