Sunday 3 September 2017

चाँद- एक छोटी सी नज़्म


नज़्म

ये चाँद है इक
रईस दादू
का एक बिगड़ा
हुआ सा पोता

चमक उड़ाता
फिरे जो शब भर
बस अपने दादू
की रौशनी की

नकुल गौतम

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